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जमदेहिकला के मिल का दूषित पानी उपजाऊ भूमि, पेड़ पौधे सहित लोगों के सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल रहा अधिकारी मौन…….

जमदेहिकला के मिल का दूषित पानी उपजाऊ भूमि, पेड़ पौधे सहित लोगों के सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल रहा अधिकारी मौन…….

नदी और नाले में मिल रहा शुगर मिल का पानी, प्रदूषित हो रही नदी, मवेशी पानी पीने से हुए बीमार

आमला.जमदेही के पास आमला एग्रो इंडस्ट्रीज शुगर फैक्ट्री से निकलने वाला पानी नदी में बह रहा है। यहां गन्ना पराई के बाद शुगर बनाने की प्रक्रिया के दौरान बचने वाले केमिकल्स वेस्ट को नाले में बहाया जा रहा है, जो जमदेहीकला से होकर कान्हाडाना (जमदेहीखुर्द) और महोली दोनों के बीच की नदी में मिलकर सीधे बेल नदी से जुड़ता है।इससे नदी प्रदूषित और बदबूदार हो रहा है। इस क्षेत्र के ग्रामीण केमिकल युक्त पानी को देखने के बाद भयभीत हैं। किसान लवलेश यादव ने बताया कि मील के गंदे पानी की वजह से मवेशी बीमार हो रहे है। पानी खराब होने से दुर्गंध आ रही है। किसान खोजू धुर्वे, अलिशा धुर्वे, चिंदू धुर्वे, बबलू धुर्वे ने बताया गन्ना मील के नाले से निकल रहे दूषित पानी की दुर्गंध से लोग परेशान है। दूषित पानी उपजाऊ भूमि, पेड़ पौधे सहित लोगों के सेहत पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। प्रशासन भी इस गंभीर मुद्दे पर मौन है, जबकि दूषित पानी से जानवरों सहित इंसानों में त्वचा सहित दमा जैसी खतरनाक बीमारियां पैदा हो सकती हैं। जिला पंचायत सदस्य अनिता महेश मर्सकोले ने बताया चिमनियों से धुंआ निकलता है, उसके कण घरों तक पहुंच रहे है। आंखों में जाने से जलन होती है। नदी के दुर्गंध युक्त पानी के शरीर में लगने से कमलेश बामने, नारायण पंडोले सहित अन्य लोगों को चर्म रोग हो चुका है। माहोली के खेमराज यादव बताते है कि शुगर मिल का दूषित पानी मिलने से नदी से अजीब सी बदबू भी आ रही है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। खोजू धुर्वे ने बताया कि दूषित पानी नदी में मिलने जब यह पानी पशु पीते है तो वह बीमार पड़ जाते जिससे उन्होंने नदी का पानी पिलाना बंद कर दिया है।

पानी से फसलों को भी नुकसान………………

किसानों का आरोप है मिल से छोड़े जाने छाड् वाला दूषित पानी नदी में मिल रहा है। इस पानी से फसलों की सिंचाई करने पर फसलों पर भी असर पड़ रहा है। कृषि अधिकारी भी ऐसे पानी से फसलों की सिंचाई नहीं करने की सलाह दे रहे है। किसान चिंधू धुर्वे, बबलू धुर्वे ने बताया कि खेतों की सिंचाई के लिए नदी का ही पानी ही है, लेकिन मील संचालक की लापरवाही की वजह से यह पानी दूषित होते जा रहा है। अगर जल्द ही प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो नदी का जल पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा और किसानों के साथ-साथ मवेशियों को पानी पिलाने की समस्या खड़ी हो जाएगी।

प्रदूषण के साथ अन्य विभाग नियमानुसार कार्रवाई करेंगे……………….

पानी को ट्रीटमेंट करके छोड़ रहे है या वैसे ही बहा रहे है। इसकी जांच कराई जाएगी। यदि बिना ट्रीटमेंट के पानी छोड़ा जा रहा है तो नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों को इसकी जांच के लिए कहा जाएगा। बिना ट्रीटमेंट पानी नहीं छोड़ा जा सकता है।

शैलेंद्र बड़ोनिया, एसडीएम, आमला

मील से वेस्ट नहीं निकलता
हमारी मील का वेस्ट नहीं निकलता है। किसान जो बोल रहे है, वह झूठ बोल रहे है। हमारा वेस्ट अंदर ही रहता है, नदी में नहीं बहता है।

सुरजीत जुनेजा, गन्ना मिल संचालक

पशुओं के बीमार होने की संभावना

यह प्रशासन का मामला है। दूषित पानी पीने से पशुओं के बीमार होने की ज्यादा संभावना रहती है। क्योंकि चीनी बनाने के दौरान मिल संचालक केमिकल्स का इस्तेमाल करते है। पानी को बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

डॉ. सतीश नावड़े, पशु चिकित्सक, विकासखंड अधिकारी आमला

दूषित पानी से फसलों की सिंचाई बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। हम भी किसानों को यही सलाह देते है। इससे फसलों को नुकसान होता है।

गोपाल साहू, एसएडीओ, कृषि विभाग, आमला।

मिल संचालक को वेस्ट के लिए स्वयं की व्यवस्था करनी चाहिए। जमीन में गड्डा कर उसमें दूषित वेस्ट जमा कर सकते है। चीनी बनाने के लिए जो केमिकल्स का उपयोग होता है, वह वेस्ट के साथ निकलता है, जो नाले से नदी में मिल रहा है तो इसका सेवन करने से पशुओं को ही नहीं, इंसान को भी काफी नुकसान है। क्योंकि वेस्ट में जो केमिकल्स होता है, उससे गंभीर बीमारियों हो सकती है।

लोकेश झरबड़े प्रोफेसर,
डॉ. भीमराव अंबेडकर शास. कॉलेज आमला

Ibn 24 Bharat
Author: Ibn 24 Bharat

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